लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

३३- रक्षा नज़र और आरती उतार किया स्वागत-

मां अभी हम श्रेया को घर ले चल तो रहे हैं। परंतु श्रेया की देखभाल करने के लिए बहुत परेशानी आने वाली है। यहां तो श्रेया की देखभाल नर्सेज और डॉक्टर करते हैं। घर में श्रेया की देखभाल भी करनी पड़ेगी, और बच्चे की भी। मां न कहा- तुम परेशान मत हो घर में पहुंचकर सब कुछ ठीक हो जाएगा। घर में रक्षा भी तो है, तो बच्चे को वही संभाल लेगी। और बाकी हम लोग श्रेया की देखभाल कर लेंगे। परेशान होने की जरूरत नहीं, सब कुछ ठीक हो जाएगा। तुम अस्पताल से छुट्टी करा लो, क्योंकि अब बहुत दिन हो चुके हैं। अस्पताल में हमें, घर पहुंचकर श्रेया बहुत जल्दी ठीक होगी। यह मेरा विश्वास है, श्रवन ने कहा-अभी श्रेया का हाल ठीक है। मां,हम डॉक्टर से कहकर श्रेया की छुट्टी करवा लेते हैं ।श्रवन डॉक्टर के पास गया और उसने डॉक्टर से कहा- कि मैंने सारी चीजें समझ ली है, नर्स से भी सारी बातें समझ ली है। और मां से बात कर ली है। श्रवन ने कहा- हम श्रेया को घर ले जाना चाहेंगे तो आप कृपया उसको अब छुट्टी दे दे। बाकी समय-समय पर श्रेया को लेकर आता रहूंगा।

डॉक्टर ने श्रवन की बात सुनकर श्रेया की छुट्टी का आदेश पारित कर दिया। अब क्या था। श्रेया की छुट्टी के डिस्चार्ज पेपर तैयार होने लगे। डिसचार्ज पेपर तैयार होते ही श्रवन ने  वहां जाकर अस्पताल के बिल्स क्लियर किए, और श्रेया को घर ले जाने की तैयारी होने लगी। मां ने जल्दी-जल्दी सारा सामान पैक किया, और श्रवन ने ड्राइवर को फोन कर गाड़ी मंगवाई। आज श्रेया बहुत ही ज्यादा खुश थी, क्योंकि उसकी अस्पताल से छुट्टी जो हो चुकी थी। आज वह कितने दिन बाद अपने घर जाएगी।अपने कमरे में .......अपने बेड पर.... सोएगी। घर में चैन की सांस लेगी। अस्पताल का वातावरण किसे .....भाता है, दूसरे, अस्पताल को कोई पसंद नहीं करता है, सभी अस्पताल के वातावरण से दूर भागना चाहते हैं। मगर कुछ मजबूरियां होती हैं, जो हमें अस्पताल में जाना ही पड़ता है। आज अस्पताल ना होता, डॉक्टर ना होते तो क्या होता श्रेया का। क्श्या क्या श्रेया को बचाया जा सकता था। कितनी मुश्किलें आई थी श्रेया के जीवन में। सब परेशान थे, पूरा परिवार निराश हो चुका था। श्रेया के बचने की उम्मीदें ही नहीं रह गई थी, लेकिन आज अस्पताल और डॉक्टर के होने से ही श्रेया को बचाया जा सका है। इसलिए सारी समस्याएं स्थिति को देखते हुए ही उत्पन्न होती हैं और उन समस्याओं का समाधान भी होता है।...

नर्स ने आकर .... श्रवन से कहा-  कि  डिसचार्ज पेपर तैयार हो गए हैं। श्रवन ने जाकर पेपर ले लिये।और श्रेया को कपड़े बदलने के लिए कहा- श्रेया ने उठकर अस्पताल के कपड़े उतारे और अपने कपड़े घरवाले पहने। इतने में ड्राइवर भी आ गया था, ड्राइवर ने आकर कहा- भैया मैं आ गया हूं । श्रवन ने कहा ठीक है, यह सामान ले जाकर गाड़ी में रखो। तब तक मैं तुम्हारी भाभी को लेकर आता हूं।ड्राइवर ने सारा सामान मेरे साथ गाड़ी में पहुंचाया। मां से बात हुई , कि सारा सामान यहां से जा चुका है। मां ने अपनी पोती को गोद में लिया और श्रवन  ने सहारा देकर श्रेया को उठाया और धीरे-धीरे कर उसे गाड़ी तक पहुंचाया। उसने धीरे से श्रेया को गाड़ी में बैठाया,और मां को भी गाड़ी में बैठाया। जब सभी लोग ठीक से गाड़ी में बैठ गए,तो श्रवन भी  गाड़ी में बैठा गया।  उसने ड्राइवर को हिदायत दी, कि गाड़ी बहुत आराम से चलाना। ठीक है भैया, मैं बहुत आराम से भाभी  को घर पहुंचा दूंगा। ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट की। श्रेया ने अपने प्राण रक्षा के लिए अस्पताल को शुक्रिया अदा करते हुए प्रणाम किया। गाड़ी  चल रही थी। घर पहुंचने में अभी देर थी।

श्रवन ने फोन करके रक्षा को बताया, कि श्रेया अस्पताल से डिस्चार्ज हो गई है, और हम लोग घर आ रहे हैं। थोड़ी ही देर में हम घर पहुंच जाएंगे। रक्षा सुनकर फूली न समाई। उसने दौड़कर पिताजी को बताया, कि भैया भाभी को लेकर घर आ रहे हैं। पिताजी भी बहुत खुश हुए। उन्होंने रक्षा को श्रेया के स्वागत की तैयारी करने को कहा- रक्षा ने जल्दी से नहा धोकर तैयारी की।उसने आरती का थाल सजाया, क्योंकि आज बहुत दिन बाद श्रेया जिंदगी मौत से जूझ कर और साथ में अपनी बच्ची को लेकर घर आ रही थी। इसलिए जोर शोर से स्वागत तो बनता था। आज श्रेया एक नया जीवन लेकर घर वापस आ रही थी, ऐसे लग रहा था मानो उसका घर में दूसरा जन्म हो रहा है....... और वह पहली बार घर में प्रवेश कर रही है .......रक्षा अभी श्रेया के स्वागत की तैयारी कर ही रही थी, कि इतने में दरवाजे की घंटी बजी। रक्षा को लगा, कि शायद भैया भाभी और मां घर आ गए हैं। रक्षा में दौड़कर कर दरवाजा खोला, तो देखा कि श्रेया भाभी के मम्मी पापा आए हुए थे। रक्षा ने उनको अंदर बुलाया और बैठने को कहा- रक्षा जल्दी से दो गिलास में पानी लेकर आई है, और उसने श्रेया के माता-पिता को पानी दिया। श्रेया अस्पताल से घरवापस आ रही थी, इसलिए श्रेया के माता-पिता भी उसके स्वागत के लिए घर आए थे, सभी बहुत खुश थे।

इतने में बाहर से गाड़ी के हॉर्न की आवाज आई। सभी के कान दरवाजे पर लगे हुए थे। गाड़ी का हॉर्न बजते ही रक्षा दौड़ी।उसने दौड़ कर देखा, कि क्या गाड़ी हमारी है या किसी और की। गाड़ी किसी और की थी, रक्षा थोड़ी देर के लिए उदास हो गई। यह क्या....... श्रेया के माता-पिता ने कहा- अरे उदास मत हो, वह लोग आते ही होंगे। इतने में श्रेया और श्रवन की गाड़ी आकर दरवाजे पर रुकी। गाड़ी  दरवाजे पर रुकी, देखकर रक्षा उछल पड़ी और बोली भैया भाभी..... आ गये...... भैया भाभी.... आ गए.....। रक्षा  भाई से बोली- अभी गाड़ी से उतरकर आप यहीं रुके रहिए। मैं अभी तुरंत आती हूं। रक्षा अंदर गई, एक हाथ में एक लोटे में जल लेकर आई और दूसरे हाथ में आरती का थाल । उसने जल से पहले श्रेया की नजर उतारी, उसके बाद आरती के सजाए थाल से उसकी  आरती उतार कर उसको अंदर ले आई। मां ने भी श्रेया के ऊपर से उतार कर कुछ नोट रक्षा को दिए। और गरीबों में बांट देने को कहा। रक्षा ने श्रेया पर उतारे पैसे गरीबों में बांट दिए और उनसे श्रेया को दुआएं देने को कहा। अब श्रेया को अंदर लाया गया। फिर

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6 Comments

Bahut khoob 💐👍

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Kaushalya Rani

21-Sep-2022 06:21 PM

Beautiful part

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Barsha🖤👑

21-Sep-2022 05:28 PM

Very nice

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